Ayatollah Ali Khamenie: The Maker Of New Iran

Ayatollah Ali -: ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई न केवल अपने देश के सबसे प्रमुख धार्मिक नेता हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्तित्व भी हैं जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अपनी टिप्पणियों और विचारों के कारण चर्चा में रहते हैं। भारत के संदर्भ में, खामेनेई के कुछ बयानों और टिप्पणियों ने समय-समय पर विवाद उत्पन्न किए हैं, खासकर जब यह कश्मीर या मुस्लिम अधिकारों से जुड़ा हुआ हो। इन बयानों ने दोनों देशों के संबंधों पर असर डाला है, जो कभी ऐतिहासिक रूप से मजबूत और सामरिक साझेदारी पर आधारित थे।

इस ब्लॉग में हम खामेनेई के भारत के प्रति बयानबाजी, उनके कश्मीर के मुद्दे पर दृष्टिकोण, और इससे उत्पन्न संभावित प्रभावों की गहनता से चर्चा करेंगे।


भारत के खिलाफ क्यों जहर उगलते हैं ईरान के सुप्रीम लीडर

ईरान से सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के भारतीय मुसलमानों को लेकर दिए बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। भारत ने खामेनेई के बयान पर न केवल तीख प्रतिक्रिया दी बल्कि उन्हें आईना भी दिखा दिया। ईरान के सर्वोच्च नेता आखिर तेहरान के दोस्त भारत के खिलाफ क्यों जहर उगलते रहते हैं?

कौन है अयातुल्ला खामेनेई?

  • अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान का सुप्रीम लीडर है, जो 1989 से इस पद पर बैठा है। खामेनेई का जन्म 17 जुलाई 1939 को ईरान के मशहद में हुआ। खामेनेई एक धार्मिक परिवार से है और उसके पिता सैय्यद जावेद खामेनेई एक इस्लामिक विद्वान थे।
  • खामेनेई हमेशा इस्लाम की बात करते दिखाई देते हैं। ईरान में चले हिजाब विरोधी आंदोलन के खिलाफ भी खामेनेई ने आवाज उठाई थी। अयातुल्ला खामेनेई ने कहा था कि ये खुदा के खिलाफ युद्ध है।
  • ईरानी क्रांति में निभाई भूमिका
  • साल 1962 में ईरान को इस्लामिक देश बनाने के लिए ईरान के तत्कालीन शासक शाह मोहम्मद रजा के खिलाफ अयातुल्ला खुमैनी ने ही विरोध प्रदर्शन किया था।
  • 1979 की इस्लामिक क्रांति में भी खामेनेई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण ईरान के अंतिम शाह मोहम्मद रजा पहलवी को उखाड़ फेंका गया।
  • इसके बाद खामेनेई क्रांति के नेता और ईरान के पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खोमैनी के करीबी सहयोगी के रूप में उभरे।
  • खामेनेई ने रक्षा उप मंत्री और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख सहित विभिन्न प्रमुख पदों पर कार्य किया।

तेहरान: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई भारत के मुसलमानों को पीड़ित बता रहे हैं। खामेनेई ये उस भारत के बारे में कह रहे हैं, जो ईरान का तब साथ दे रहा है, जब कोई उसके साथ खड़े होने तैयार नहीं हैं। ईरानी सुप्रीम लीडर ने एक्स पर एक पोस्ट में गाजा और म्यांमार के साथ भारत के मुसलमानों को भी पीड़ित बता दिया। खामेनेई की इस टिप्पणी पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने इसे गलत सूचना पर आधारित और अस्वीकार्य करार दिया। इसके साथ ही उन्हें अपने देश में अल्पसंख्यकों की हालत देखने की सीख भी दे दी। यह पहली बार नहीं है जब खामेनेई ने भारत में मुसलमानों या दूसरे मामले को लेकर टिप्पणी की है। वे पहले भी ऐसा करते रहे हैं। उनके पिछले बयानों पर चलते हैं, उसके पहले ताजा बयान जान लेते हैं।

भारत और ईरान: ऐतिहासिक रिश्ते

भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और व्यापारिक संबंध सदियों पुराने हैं। ये संबंध प्राचीन काल से ही मजबूत रहे हैं, खासकर जब बात व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की हो। दोनों देशों की सभ्यताएं एक-दूसरे के साथ गहराई से जुड़ी हुई हैं।

आधुनिक समय में, दोनों देशों के बीच सामरिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं। भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात बड़े पैमाने पर किया है, और ईरान ने भारत के साथ व्यापारिक और सामरिक साझेदारी को प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, भारत द्वारा ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में निवेश करना, दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का एक उदाहरण है।

हालांकि, समय-समय पर भारत और ईरान के रिश्ते कुछ विवादों के कारण तनावपूर्ण हुए हैं, जिसमें अयातुल्ला खामेनेई के भारत-विरोधी बयानों का भी एक बड़ा योगदान है।

खामेनेई का बयान और भारत का जवाब?

खामेनेई ने एक्स पर लिखा, ‘इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा हमें इस्लामी उम्मा के रूप में हमारी साझा पहचान के प्रति उदासीन बनाने की कोशिश की है। अगर हम म्यांमार, गाजा, भारत या किसी अन्य जगह पर एक मुसलमान की तकलीफ से अनजान हैं, तो हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते।’ खामनेई के बयान पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम ईरान के सर्वोच्च नेता की भारत के अल्पसंख्यकों के बारे में की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। ये गलत सूचना पर आधारित और अस्वीकार्य हैं। अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों पर टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देख लें।’

खामेनेई ने पहले कब की भारत पर टिप्पणी?

अगस्त 2019 में खामेनेई ने ट्विवटर पर एक पोस्ट में मुसलमानों की स्थिति के बारे में चिंता जताई थी। भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्ज को खत्म कर दिया था। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए खामेनेई ने लिखा, ‘हम कश्मीर के मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। हमारे भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के महान लोगों के प्रति न्यायपूर्ण नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र के मुसलमानों पर अत्याचार और उत्पीड़न को रोकेगी।’

मार्च 2020 में एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘पूरी दुनिया के मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति को लेकर दुखी हैं।’ खामेनेई ने कहा कि भारत सरकार को इस्लामी दुनिया से भारत को अलग-थलग होने से रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। 2018 में एक बयान में खामेनेई ने कहा था कि फिलिस्तीनी राष्ट्र और गाजा के घिरे हुए लोगों की सहायता करना, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक और कश्मीर के लोगों के प्रति सहानुभूति और सहयोग को इस्लामिक उम्माह के कंधों पर महान जिम्मेदारी बताया था।

निष्कर्ष

अयातुल्ला अली खामेनेई के भारत के खिलाफ दिए गए बयान केवल राजनीतिक बयानबाजी से कहीं अधिक हैं; वे वैश्विक इस्लामी राजनीति के संदर्भ में भारत की स्थिति पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। इन बयानों के बावजूद, भारत और ईरान दोनों के पास एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के कई कारण हैं। लेकिन खामेनेई के इन बयानों से यह स्पष्ट है कि कूटनीतिक क्षेत्र में समस्याएं कभी-कभी धार्मिक और राजनीतिक विचारधारा के आधार पर उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें ध्यानपूर्वक और समझदारी से संभालने की आवश्यकता है।