New Cm of Delhi- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने राजनीतिक करियर के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. कथित दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत तो दी, लेकिन ऐसी शर्तों के साथ, जिसके कारण अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे पर विचार करने और एक विश्वसनीय उत्तराधिकारी नियुक्त करने पर मजबूर होना पड़ा. शीर्ष अदालत की जमानत शर्तों के मुताबिक वह मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकते, दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और न ही आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने के इस कदम में रिस्क भी शामिल है, साथ ही उन्हें और उनकी पार्टी को इससे फायदा भी मिल सकता है.
Resign Of Kejriwal
अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि वह तभी मुख्यमंत्री पद पर लौटेंगे जब उन्हें जनता से “ईमानदारी का प्रमाणपत्र” मिलेगा। इस फैसले से दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई थी, और आतिशी का चयन इस बदलाव के बीच में हुआ है। इस परिवर्तन से यह भी साफ हुआ कि आम आदमी पार्टी अपने नेतृत्व को नई दिशा में ले जाना चाहती है। अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार शाम करीब 4.45 बजे उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना को सीएम पद से इस्तीफा सौंप दिया। उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद रहे। दिल्ली सरकार ने 26 और 27 सितंबर को 2 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया है। सत्ता परिवर्तन पर भाजपा ने कहा कि मेकओवर ने AAP के दाग नहीं छुपेंगे।
इससे पहले आतिशी मार्लेना को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया गया। केजरीवाल ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव रखा। इस पर विधायकों ने सहमति जताई।
दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने आतिशी के नाम का ऐलान करते हुए कहा- हमने विषम परिस्थितियों में यह फैसला लिया है। केजरीवाल की ईमानदारी पर कीचड़ उछाला गया। जनता जब तक उन्हें नहीं चुनती, वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
आतिशी ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, ‘मैं अपने गुरु अरविंद केजरीवाल जी का धन्यवाद करती हूं, जिन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी। मुझे बधाई मत दीजिएगा, माला मत पहनाइएगा, मेरे लिए, दिल्लीवालों के लिए दुख की घड़ी है कि चहेते मुख्यमंत्री इस्तीफा देंगे।’ इस बीच, AAP की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘जिसके परिवार ने आतंकी अफजल गुरु के लिए लड़ाई लड़ी, उसे आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया। भगवान दिल्ली की रक्षा करे। दिल्ली के लिए आज बहुत दुख का दिन है।’
13 सितंबर को शराब नीति केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने 15 सितंबर को मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था, ‘अब जनता तय करे कि मैं ईमानदार हूं या बेईमान। जनता ने दाग धोया और विधानसभा चुनाव जीता तो फिर से कुर्सी पर बैठूंगा।’
केजरीवाल के इस्तीफा देने के पीछे कुछ खास प्वाइंट्स
. केजरीवाल ने जनता को संदेश दिया कि उन्हें कुर्सी से बहुत लगाव नहीं है।
. सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह दांव खेलकर लगातार हमलावर विपक्षियों का मुंह बंद करने की कोशिश की।
. मुख्यमंत्री ने अपनी ‘कट्टर ईमानदार’ की छवि को मजबूत करने का प्रयास किया है।
. हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जनता के बीच अपनी छवि बनाने के लिए यह अहम निर्णय लिया।
. 2015 में केजरीवाल के इस्तीफा देने पर हुए चुनाव में आप को विशाल बहुमत के साथ 70 में से 67 सीटें मिली थीं।
. केजरीवाल द्वारा इस्तीफे का एलान करने से बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि 2015 में भी सीएम ने एसा ही दांव चला था। जिसमें आप को बड़ी सफलता मिली थी।
. केजरीवाल के जेल जाने से उनकी छवि पर असर पड़ा है, उसे ही सुधारने के लिए यह प्रयास किया गया है।
. दिल्ली की जनता को अच्छे स्कूल, अच्छे अस्पताल और बिजली-पानी फ्री समेत महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा दिलाने का एहसास कराने की भी कोशिश है।
. केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा देकर दिल्ली की जनता की मन की बात भी जानना चाहते हैं।
. अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को गलत बताते हुए केजरीवाल ने यह एलान किया है। उन्होंने यह कदम उठाकर अपनी छवि को साफ बताने की कोशिश की।
जेल जाने से केजरीवाल की छवि पर पड़ा असर
इससे पहले 2013 के चुनाव में आप को 28 और कांग्रेस को 8 सीट मिली थीं। भाजपा को 32 सीटें मिली थीं। इसे भले ही आम आदमी पार्टी न माने, मगर जेल जाने से केजरीवाल की छवि पर असर पड़ा है। केजरीवाल का मतलब आम आदमी पार्टी से है। केजरीवाल को खुद एक पार्टी के रूप में देखा जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो आम आदमी पार्टी की छवि ही केजरीवाल से है।
इट्टर ईमानदार’ छवि को मजबूत करने का प्रयास
CM Kejriwal Resign इस घोषणा के साथ उन्होंने अपनी ‘कट्टर ईमानदार’ की छवि को मजबूत करने का प्रयास किया है। आप इसका लाभ हरियाणा और आगे चलकर दिल्ली विधानसभा चुनाव में उठाने की कोशिश करेगी। 2013 के विधानसभा चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलने पर पहली बार कांग्रेस के साथ मिलकर 49 दिन की सरकार चलाने के बाद केजरीवाल के इस्तीफा देने पर 2015 में हुए चुनाव में आप को विशाल बहुमत के साथ 70 में से 67 सीटें मिली थीं।
स्कूल से लेकर बिजली-पानी दिया फ्री
उन्होंने स्कूल अच्छे किए हैं, अस्पताल अच्छे किए हैं, बिजली-पानी फ्री दे रहे है, महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा दे रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि यह सब इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार ईमानदार सरकार है। यहां गौरतलब है कि यह सब बताने के पीछे जनता को यह फिर से याद दिलाना था कि वह ईमानदार हैं और ईमानदारी से काम कर रहे हैं।
कौन बनेगा दिल्ली का नया मुख्यमंत्री, किसका चलेगा राज
आतिशी मार्लेना को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना गया है। अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देकर उनका नाम प्रस्तावित किया, जिसे आम आदमी पार्टी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल गया है, और वह हैं आतिशी मार्लेना। आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है। यह फैसला पार्टी द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया, जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनका नाम प्रस्तावित किया। अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे, और इस निर्णय के बाद आतिशी को उनका उत्तराधिकारी चुना गया।
आतिशी का राजनीतिक सफर
आतिशी का नाम दिल्ली की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वह शिक्षा, वित्त और लोक निर्माण विभाग (PWD) जैसी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाल चुकी हैं। आतिशी को खास तौर पर दिल्ली के शिक्षा मॉडल में सुधार के लिए जाना जाता है, जिसके कारण उन्होंने देश और विदेश में काफी सराहना पाई है। उनकी नियुक्ति दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि वह एक कुशल प्रशासक और शिक्षा में क्रांतिकारी सुधार लाने वाली नेता हैं।
आतिशी की चुनौतियां और भविष्य
आतिशी के सामने अब दिल्ली के प्रशासन और विकास को लेकर कई चुनौतियां हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो सुधार किए हैं, उसे अब दूसरे विभागों में भी लागू करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, दिल्ली के प्रदूषण, जल आपूर्ति, और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मुद्दों पर भी उन्हें ठोस कदम उठाने होंगे। आतिशी की नई भूमिका को लेकर दिल्ली की जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की उम्मीदें काफी ऊंची हैं। उनके अनुभव और कुशल नेतृत्व से उम्मीद की जा रही है कि वह दिल्ली को नए सिरे से विकास के रास्ते पर ले जाएंगी।